दुख का समा मुझे घेर लेता है,

 वो बात क्या करें जिसकी कोई खबर ना हो,

वो दुआ क्या करें जिसका कोई असर ना हो,
कैसे कह दे कि लग जाय हमारी उमर आपको,
क्या पता अगले पल हमारी उमर ना हो.

काश एक दिन ऐसा भी आए;
वक़्त का पल पल थम जाए;
सामने बस तुम ही रहो;
और उमर गुज़र जाए.

दुख का समा मुझे घेर लेता है,
जब तेरी याद में ये पल भर के लिए होता है,
ना जाने कब वो दिन आएगा,
जब हर पल इस ज़िन्दगी का तेरे साथ गुजर जाएगा.


मोहब्बत मुकद्दर है कोई ख़्वाब नही,
ये वो अदा है जिसमें हर कोई कामयाब नही,
जिन्हें मिलती मंज़िल उंगलियों पे वो खुश है,
मगर जो पागल हुए उनका कोई हिसाब नही.

जान से ज्यादा प्यार उन्हें किया करते थे;
याद उन्हें दिन रात किया करते थे;
अब उन राहों से गुज़रा नहीं जाता;
जहाँ बैठकर उनका इंतजार किया करते थे.

दर्द को दर्द अब होने लगा है,
दर्द अपने गम पे खुद रोने लगा है,
अब हमें दर्द से दर्द नही लगेगा,
क्योंकि दर्द हमको छू कर खुद सोने लगा है.

सामने मंजिल तो रास्ते ना मोड़ना,
जो मन मे हो वो ख़्वाब ना तोड़ना,
हर कदम पर मिलेगी सफ़लता,
बस आसमान छूने के लिए जमीन ना छोड़ना.

आती है तेरी याद अंधेरे की तरह,
उदास करती है मुझे गम की तरह,
मुझे तो अब बस उस दिन का इंतजार है,
जब तू आएगी मेरी ज़िन्दगी में सवेरे की तरह.

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